News India Live, Digital Desk: Pitru Paksha 2025: हमारे पूर्वजों को समर्पित 15 दिनों की विशेष अवधि, यानी पितृ पक्ष का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है. इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, जिसमें लोग अपने उन प्रियजनों को याद करते हैं जो अब इस दुनिया में नहीं हैं. उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मण भोज कराया जाता है.ऐसी मान्यता है कि इन दिनों हमारे पितर (पूर्वज) धरती पर आते हैं और अपने परिवार वालों से भोजन और जल ग्रहण करते हैं.यही वजह है कि श्राद्ध कर्म पूरी श्रद्धा और नियम के साथ किया जाना चाहिए. हर श्राद्ध उस तिथि को किया जाता है, जिस तिथि को परिजन की मृत्यु हुई हो. इसी क्रम में, आइए जानते हैं कि साल 2025 में तृतीया (तीसरा) और चतुर्थी (चौथा) श्राद्ध कब किया जाएगा और इसके लिए शुभ मुहूर्त क्या है.कब है तृतीया श्राद्ध 2025? (Tritiya Shradh Date 2025)जिन लोगों के परिवार में किसी सदस्य का निधन किसी भी महीने के कृष्ण या शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हुआ हो, उनका श्राद्ध पितृ पक्ष की तृतीया को किया जाता है. इसे तीज श्राद्ध भी कहते हैं.[3]तृतीया श्राद्ध की तारीख: 10 सितंबर 2025, बुधवारतृतीया तिथि प्रारंभ: 09 सितंबर, 2025 को शाम 06:28 बजेतृतीया तिथि समाप्त: 10 सितंबर, 2025 को दोपहर 03:37 बजेश्राद्ध के लिए शुभ मुहूर्त:कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:53 से दोपहर 12:43 तकरौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:43 से दोपहर 01:33 तकअपराह्न काल: दोपहर 01:33 से शाम 04:02 तककब है चतुर्थी श्राद्ध 2025? (Chaturthi Shradh Date 2025)पितृ पक्ष के चौथे दिन उन पूर्वजों का श्राद्ध करने का विधान है, जिनका देहांत किसी भी महीने की चतुर्थी तिथि को हुआ हो.इस साल 2025 में एक विशेष संयोग बन रहा है, जहां तृतीया श्राद्ध के समाप्त होने के तुरंत बाद चतुर्थी तिथि लग रही है. हालांकि, श्राद्ध के लिए उदया तिथि का महत्व होता है, इसलिए चतुर्थी का श्राद्ध अगले दिन किया जाएगा.चतुर्थी श्राद्ध की तारीख: 11 सितंबर 2025, बृहस्पतिवारचतुर्थी तिथि प्रारंभ: 10 सितंबर, 2025 को दोपहर 03:37 बजेचतुर्थी तिथि समाप्त: 11 सितंबर, 2025 को दोपहर 12:45 बजेश्राद्ध कर्म हमेशा दोपहर के समय करना सबसे उत्तम माना जाता है. इसलिए ऊपर दिए गए कुतुप, रौहिण और अपराह्न काल के मुहूर्त श्राद्ध के लिए सर्वश्रेष्ठ हैं. इस दौरान पूरी श्रद्धा के साथ अपने पूर्वजों के निमित्त तर्पण, पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए. ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
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