नई दिल्ली, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । मेक इन इंडिया को वैश्विक ऊंचाई देने की दिशा में बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) ने एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। बरेका द्वारा निर्मित उन्नत 3300 अश्व शक्ति (एचपी) के केप गेज डीजल-इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव अब मोजाम्बिक की पटरियों पर दौड़ते नजर आएंगे।
बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने बताया कि भारतीय रेलवे की इस प्रमुख निर्माण इकाई ने जून 2025 में ऐसे दो अत्याधुनिक लोकोमोटिव सफलतापूर्वक मोजाम्बिक के लिए रवाना किए हैं, जबकि शेष आठ इंजनों की आपूर्ति दिसंबर 2025 तक की जाएगी। यह पूरी आपूर्ति मेसर्स राइट्स के माध्यम से संपन्न हो रही है।
तकनीकी उत्कृष्टता की मिसाल
उन्होंने बताया कि 3300 एचपी के ये एसी डीजल इंजन तकनीक, मजबूती और विश्वसनीयता का अद्वितीय संगम हैं। इनमें अत्याधुनिक कर्षण प्रणाली, कंप्यूटर नियंत्रित ब्रेक सिस्टम (सीसीबी 2.0), अधिकतम कर्षण एफर्ट 400 किलो न्यूटन, सतत कर्षण एफर्ट 280 किलो न्यूटन, 6000 लीटर की ईंधन क्षमता और 100 किमी/घंटा की अधिकतम रफ्तार जैसी विशेषताएं मौजूद हैं।
चालक के लिए विश्वस्तरीय सुविधाएं
नरेश पाल सिंह ने बताया कि इन इंजनों में ड्राइवर की सुविधाओं और आराम का विशेष ध्यान रखा गया है। चालक कैब में रेफ्रिजरेटर, हॉट प्लेट, मोबाइल होल्डर, बोतल स्टैंड, सौंदर्यबोध से परिपूर्ण डिजाइन और शौचालय जैसी सुविधाएं दी गई हैं, जिससे न केवल कार्यस्थल की गुणवत्ता बेहतर होती है, बल्कि ये अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप भी हैं।
मोजाम्बिक के इंजीनियरों को भारत में प्रशिक्षण
इन इंजनों के सुचारू संचालन के लिए मोजाम्बिक के 10 इंजीनियरों को भारत में तकनीकी प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया, जिससे भारत की तकनीकी विशेषज्ञता और मित्र राष्ट्रों के साथ सहयोग को नई मजबूती मिली।
बरेका की गौरवशाली यात्रा
उल्लेखनीय है कि बरेका की स्थापना 23 अप्रैल 1956 को हुई थी और तब से अब तक 10,820 से अधिक लोकोमोटिव का निर्माण किया जा चुका है। वर्ष 1976 में पहला निर्यात तंजानिया को हुआ था, जिसके बाद से वियतनाम, म्यांमार, श्रीलंका, मलेशिया, बांग्लादेश, अंगोला, सेनेगल, सूडान सहित अनेक देशों को रेल इंजन निर्यात किए गए हैं।
‘मेक इन इंडिया – मेक फॉर द वर्ल्ड’ का मजबूत उदाहरण
बरेका के महाप्रबंधक नरेश पाल सिंह ने कहा कि बरेका द्वारा मोजाम्बिक को 3300 एचपी के आधुनिक लोकोमोटिव की यह आपूर्ति न केवल भारत की इंजीनियरिंग दक्षता को दर्शाती है, बल्कि ‘मेक इन इंडिया – मेक फॉर द वर्ल्ड’ अभियान को भी मजबूती प्रदान करती है। यह भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक भागीदारी की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार
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