नई दिल्ली, 17 जुलाई (Udaipur Kiran) । महान राष्ट्रवादी चिंतक और पूर्व सांसद बाल आपटे की पुण्यतिथि के अवसर पर राजधानी दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में शिक्षाविद् डॉ राकेश मिश्र की पुस्तक ‘समिधा’ का लोकार्पण हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले और केंद्रीय वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव उपस्थित रहे।
इस कार्यक्रम में दत्तात्रेय होसबाले ने राष्ट्र और समाज निर्माण के लिए नैतिक आचरण और सांस्कृतिक मूल्यों का मंत्र दिया। उन्होंने कहा कि आज भारत जब अपनी प्रतिभा, परिश्रम और नेतृत्व के कारण वैश्विक मंच पर एक सशक्त उपस्थिति दर्ज करवा रहा है, तब यह जरूरी हो गया है कि हम ऐसा समाज बनाएं जो निष्क्रियता या आतंक के बजाय सांस्कृतिक चेतना और नैतिक मूल्यों से प्रेरित हो।
दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि भारत का ऐतिहासिक संदेश यही रहा है कि इस देश के लोगों के जीवन और व्यवहार से दुनिया को सीख मिल सकती है। उन्होंने बाल आपटे को ऐसे विचारों के प्रतिनिधि के रूप में याद किया जो न केवल संगठनात्मक दृष्टि से प्रभावशाली थे, बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत संवेदनशील थे।
उन्होंने बताया कि बाल आपटे उन विरले व्यक्तित्वों में से थे, जिनसे कुछ मिनटों की मुलाकात भी कार्यकर्ताओं को आत्मीयता का अनुभव कराती थी। वे संकट की घड़ी में व्यक्तिगत स्तर पर कार्यकर्ताओं की चिंता करते थे और उनसे संवाद बनाकर रखते थे। कार्यकर्ताओं के गुणों को पहचानना और उन्हें प्रोत्साहित करना, उनके व्यक्तित्व की एक विशिष्ट विशेषता थी।
होसबाले ने यह भी कहा कि बाल आपटे जैसे व्यक्तित्व अपने जीवन को केवल सफलता तक सीमित नहीं रखते, बल्कि जनसेवा को जीवन का लक्ष्य मानते हैं। उन्होंने एक प्रोफेसर और एडवोकेट के रूप में अपने कार्य को केवल आजीविका का माध्यम नहीं बनाया, बल्कि उसे सामाजिक मिशन के रूप में लिया। उनके संस्कार, प्रतिभा, परिश्रम और संगठन के प्रति निष्ठा ने उन्हें एक संपूर्ण और प्रभावशाली नेता के रूप में स्थापित किया। वे हर विषय को गहराई से समझते थे और उसे समग्रता में देखने की दृष्टि रखते थे। वे विचारों को पाठ्यक्रम में ढालने की क्षमता रखते थे और संगठन की बारीकियों को न केवल स्वयं समझते थे, बल्कि कार्यकर्ताओं को भी उसकी स्पष्ट समझ देते थे।
होसबाले ने कहा कि बाल आपटे नेतृत्व के उस स्वरूप को प्रस्तुत करते थे जिसमें गलती को टालने के बजाय सुधार की भावना से देखा जाता है। उन्होंने कभी भी सच्चाई कहने से परहेज नहीं किया, लेकिन वह सच्चाई भी इतनी आत्मीयता और स्पष्टता से कहते थे कि कार्यकर्ता आहत नहीं होता, बल्कि प्रेरित होता था। यही कारण है कि उन्होंने संगठन में छोटे-बड़े सभी कार्यकर्ताओं के बीच विश्वास और संवाद की संस्कृति विकसित की। वे निर्णय थोपते नहीं थे, बल्कि सुझाव मांगते थे, पूछते थे कि क्या लगता है? यही एक सच्चे नेता की पहचान है। व्यक्ति को समझना और कार्य को प्राथमिकता देना उनकी खासियत थी। बाल आपटे का नेतृत्व व्यक्ति की गरिमा को बनाए रखते हुए कार्य की गुणवत्ता को ऊपर उठाता था।
इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी बाल आपटे को याद करते हुए उन्हें विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता पार्टी के लिए एक आदर्श कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि बताया। उन्होंने कहा कि बाल आपटे ने अपनी सार्वजनिक जीवन में प्रोफेशनल एथिक्स का आदर्श प्रस्तुत किया और सभी जटिल विषयों पर उनकी स्पष्टता देखने योग्य थी। उन्होंने कहा कि डॉ राकेश मिश्र की यह पुस्तक न केवल बाल आपटे के जीवन को प्रस्तुत करती है, बल्कि उसमें पर्यावरण के प्रति भी गहरी चिंता दिखाई देती है। भूपेंद्र यादव ने कहा कि आज के समय में दो सबसे गंभीर संकट हैं – व्यक्ति के अंतर्मन की अस्थिरता और पर्यावरण का बिगड़ता संतुलन। उन्होंने कहा कि जिस ऊर्जा-आधारित जीवनशैली में हम जी रहे हैं, उससे धरती का तापमान तेजी से बढ़ रहा है, जैव विविधता का संतुलन बिगड़ रहा है और बंजर भूमि का विस्तार हो रहा है।
भूपेंद्र यादव ने बताया कि भारत ने पिछले एक दशक में पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए हैं। भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस की स्थापना की और अपने एनडीसी लक्ष्यों को तय समय से पहले प्राप्त कर लिया। उन्होंने कहा कि भारत ने अपने सांस्कृतिक मूल्यों के आधार पर पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे मां के नाम एक पेड़ लगाकर प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करें। उन्होंने यह भी कहा कि धरती मां हमें अन्न, ऊर्जा, औषधियां और जीवन के लिए आवश्यक तत्व देती है, इसलिए उसकी रक्षा हमारा कर्तव्य है।
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(Udaipur Kiran) / prashant shekhar
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