कोलकता, 16 अप्रैल . मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में हुई हिंसा के बाद घर छोड़ने को मजबूर हुए लोग अब धीरे-धीरे वापस लौट रहे हैं. प्रशासन के अनुसार बीते तीन दिनों में करीब 140 लोग अपने घरों को आ चुके हैं. जबकि बाकी लगभग 360 लोगों को भी घर लाने की कोशिश में पुलिस और बीएसएफ दिन-रात काम कर रही है.
धुलियान इलाके में मंगलवार को कई परिवार अपने-अपने गांवों की ओर लौटते नजर आए. पुरुषों के कंधों पर बैग, महिलाओं के हाथ में पोटली और बच्चों की उंगलियां थामे लोगों के चेहरे पर डर और राहत दोनों की झलक दिखी. एक व्यक्ति अपनी पत्नी से कहते सुन “देखो, अबकी बार सब कुछ ठीक हो जाएगा.”
पिछले 48 घंटों में हिंसा प्रभावित इलाकों में लगातार पुलिस और बीएसएफ की गश्त ने लोगों में भरोसा लौटाया है. अराजकता फैलाने वालों की गिरफ्तारी भी लगातार जारी है. मंगलवार को ही पुलिस ने बांग्लादेश सीमा के पास से हिंदू बाप बेटे की हत्या मामले के दो आरोपितों को पकड़ा. पुलिस का कहना है कि वह अपराधियों को पकड़ने के लिए पाताल में जाने से पीछे नहीं हटेगी. प्रभावित परिवारों को यह विश्वास दिलाने के लिए कि वे सुरक्षित हैं, बीएसएफ और पुलिस ने हर परिवार को संबंधित अधिकारियों के संपर्क नंबर भी दिए हैं. किसी भी तरह की परेशानी की खबर मिलते ही सुरक्षा बल तत्काल मौके पर पहुंच रहे हैं.
प्रशासन का अनुमान है कि लगभग 500 परिवार घर छोड़ने को मजबूर हुए थे. हालांकि स्थानीय लोगों का दावा है कि यह संख्या हजार से ऊपर थी और कई लोग झारखंड और मालदा तक चले गए थे. रविवार को 19 लोग लौटे, सोमवार को 49 और मंगलवार रात तक 72 और लोग वापस आए.जिलाधिकारी दीन नारायण घोष ने बताया कि हम सभी को आश्वस्त कर रहे हैं. डरने की कोई जरूरत नहीं है. दो सामुदायिक रसोई चलाई जा रही हैं और राहत किट दी जा रही हैं. जंगीपुर पुलिस जिले के एसपी आनंद राय ने कहा कि क्षेत्र में पूर्णतः शांति है. अब घर न लौटने का कोई कारण नहीं.
सोशल मीडिया पर सख्ती, अफवाह फैलाने वालों पर कार्रवाई
पुलिस के मुताबिक अब तक 1,093 सोशल मीडिया अकाउंट्स को ब्लॉक किया जा चुका है जो अफवाह और उकसावे की सामग्री फैला रहे थे. एडीजी (दक्षिण बंगाल) सुप्रतीम सरकार ने कहा कि फेसबुक, एक्स, यूट्यूब और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर भड़काऊ पोस्ट साझा करने वालों पर ज़ीरो टॉलरेंस नीति अपनाई गई है.
शांति समितियां बनीं, हर समुदाय को जोड़ा गया
पुलिस द्वारा बनाए गए बूथ-स्तरीय शांति समितियों में स्थानीय और राजनीतिक प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है. स्थानीय स्तर पर स्वीकार्य व्यक्तियों को इन समितियों का प्रमुख बनाया गया है, जिनकी जिम्मेदारी किसी भी अफवाह या समस्या की सूचना तुरंत पुलिस को देना है.
बीएसएफ ने कहा-सभी के लिए काम कर रहे
बीएसएफ के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के डीआईजी नीलोत्पल पांडे ने से कहा कि हम किसी विशेष समुदाय के लिए नहीं, बल्कि सभी के लिए काम कर रहे हैं. हमारा उद्देश्य हिंसा प्रभावित इलाकों में शांति बहाल करना है और हम 100 प्रतिशत लोगों की घर वापसी सुनिश्चित करना चाहते हैं.
/ ओम पराशर
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