Next Story
Newszop

गौरवशाली अतीत की जानकारी नई पीढ़ी तक पहुंचना आवश्यक : मुख्यमंत्री डॉ. यादव

Send Push

– मुख्यमंत्री जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े स्थलों का करेंगे भ्रमण

भोपाल, 15 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शनिवार, 16 अगस्त को जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों का भ्रमण करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने गौरवाशाली इतिहास के महत्वपूर्ण प्रसंगों का स्मरण करते हुए जन्माष्टमी के अवसर पर इन स्थानों पर जाने का निर्णय किया है।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ. यादव 16 अगस्त को सर्वप्रथम रायसेन जिले के महलपुर पाठा, इसके पश्चात धार जिले के अमझेरा और इंदौर जिले के जानापाव जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ यादव विभिन्न प्राचीन कृष्ण मंदिरों में दर्शन करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विरासत से विकास के संकल्प के अंतर्गत अपनी इस विशिष्ट यात्रा की रचना की है।

श्रीकृष्ण मंदिरों में भी करेंगे नमन

मुख्यमंत्री डॉ. यादव जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण के जीवन से जुड़े स्थानों में जाएंगे और प्राचीन कृष्ण मंदिर में नमन करेंगे। गौरवशाली जीवन से जुड़े स्थानों में जायेंगे। इन स्थानों में उज्जैन का सांदीपनि आश्रम और गोपाल मंदिर के अलावा महिदपुर के निकट स्थित नारायणा धाम भी शामिल है जो भगवान श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का साक्षी रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव इन स्थानों का पूर्व में कई बार भ्रमण कर चुके हैं। प्रदेश में श्रीकृष्ण पाथेय के विकास के लिए न्यास भी गठित किया गया है। ऐसे स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।

वर्तमान पीढ़ी भी अवगत हो समृद्ध अतीत से

मुख्यमंत्री डॉ. यादव श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के विशेष अवसर को विशेष बनाने के उद्देश्य से और आज की पीढ़ी को समृद्ध इतिहास के अध्याय से परिचित करवाने की दिशा में इन स्थानों का भ्रमण कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि धार जिले के अमझेरा में रुक्मणी हरण का प्रसंग होने के साथ ही युद्ध का वर्णन भी मिलता है। उज्जैन के गोपाल मंदिर का द्वार सोमनाथ का द्वार है जिसे कंधार ले जाया गया था और बाद में सिंधिया के शासनकाल में वापस लाने का कार्य भी किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव का मानना है कि आज युवाओं तक अपने गौरवाशाली इतिहास की जानकारी पहुंचाना आवश्यक है। इस नाते ऐसे ऐतिहासिक महत्व के स्थानों को स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थियो को भी इतिहास की जानकारी देने के लिए शैक्षणिक भ्रमण में शामिल किया जाता रहा है। अधिक से अधिक विद्यार्थी ऐसे स्थानों पर जाकर ऐसे अतीत का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं, जो हमारे इतिहास के गौरवशाली पृष्ठ हैं।

महलपुर पाठा का प्राचीन राधाकृष्ण मंदिर

मुख्यमंत्री डॉ. यादव जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना के लिए रायसेन के प्राचीन महलपुर पाठा मंदिर जायेंगे। यह मंदिर 13वीं शताब्दी में निर्मित महलपुर पाठा गांव में स्थित है। यह ऐसा मंदिर है जहां राधा-कृष्ण और देवी रुक्मणि की मूर्ति एक ही श्वेत पत्थर पर बनी हुई है। इस मंदिर पर लगा एक शिलालेख इसके संवत 1354 अर्थात वर्ष 1297 ई में निर्मित किए जाने की जानकारी देता है। मंदिर के पास ही प्राचीन किला भी है, जहां परमार वंश के राजाओं का शासन रहा। राधा-कृष्ण मंदिर भी उसी काल का है। साथ ही मकर संक्रांति पर यहां बड़ा मेला भी लगता है। यहां विष्णु यज्ञ भी होता है। मंदिर के पास स्थित किले में 51 बावड़ियां हैं। पास के जंगल से जैन परंपरा के भगवान आदिनाथ की मूर्ति मिली थी जो अब देवनगर में स्थापित है। मंदिर के पास में शिवलिंग, नंदी, गणेश और नाग देवता सहित नटराज की मूर्तियां हैं।

अमझेरा का महत्व

रुकमणि हरण के बारे में बताया जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणि के विवाह से जुड़ा महत्वपूर्ण प्रसंग सर्वविदित है। यह प्रसिद्ध प्रसंग भागवत पुराण और अन्य हिन्दू धर्मग्रंथों में भी वर्णित है। इसके अनुसार रुकमणि, जो विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं, श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन उनके भाई रुक्मी, शिशुपाल से उनका विवाह कराना चाहते थे। रुकमणि ने श्रीकृष्ण को एक संदेश भेजकर उनसे विवाह करने का आग्रह किया। जब शिशुपाल बारात लेकर विदर्भ पहुंचा, तो श्रीकृष्ण ने रुकमणि का हरण किया और उन्हें द्वारका ले गए, जहां उन्होंने उनसे विवाह किया।

जानापाव का महत्व

जानापाव इंदौर जिले में स्थित है, जो भगवान परशुराम की जन्मस्थली मानी जाती है। इस स्थान पर परशुराम जी ने भगवान श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र प्रदान किया था। शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है।

गोपालपुर मंदिर एवं सांदीपनि आश्रम

मुख्यमंत्री डॉ. यादव उज्जैन के गोपालपुर मंदिर भी जाएंगे जहां द्वार सोमनाथ का द्वार माना गया है जो बेशकीमती है और यह द्वार मंदिर की शोभा बना है। इस द्वार को 11वीं सदी में महमूद गजनी ने मंदिर पर हमला कर लूट लिया था। महमूद गजनी इसे अपने साथ विदेश ले गया था, जो भारत वापस लाया गया। मराठा शैली में निर्मित यह मंदिर प्राचीन गौरवगाथा बयान करता है। इसका मुख्य द्वार चांदी का है। गोपालपुर मंदिर को 19 वीं सदी में सिंधिया शासकों द्वारा निर्मित करवाया गया।

सांदीपनि आश्रम में भगवान श्रीकृष्ण, बलराम और सुदामा ने अध्ययन प्राप्त किया था। भगवान श्रीकृष्ण ने गुरू सांदीपनि से 16 विद्याएं,18 पुराण और 64 कलाओं का ज्ञान अर्जित किया था। इस स्थान पर जन्माष्टमी पर विशेष आयोजन होते हैं। मुख्यमंत्री डॉ यादव ने श्रीकृष्ण पाथेय के विकास में इन स्थानों के महत्व का उल्लेख करते हुए इनके समुचित विकास की योजना क्रियान्वित करने को कहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव को जन्माष्टमी पर प्रदेश के 20 से अधिक स्थानों और विशेष कार्यक्रमों के आमंत्रण मिले हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव चयनित स्थानों का भ्रमण करेंगे।

(Udaipur Kiran) तोमर

Loving Newspoint? Download the app now