भोपाल, 9 अप्रैल . किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री एदल सिंह कंषाना ने कहा कि नरवाई जलाने से खेतों की उर्वरा शक्ति को नुकसान पहुंचता है. नरवाई जलाने के नुकसान को रोकने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने के प्रयास किये जा रहे हैं. उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर द्वारा फसल काटकर सीधे बोनी की जाती है. नरवाई से मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है. नरवाई मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ जोड़ती है, जिससे मिट्टी की संरचना, जल धारण क्षमता और उर्वरा शक्ति बढ़ती है. इसके साथ ही नरवाई मिट्टी की सतह को ढंककर रखती है, जिससे वाष्पीकरण कम होता है और मिट्टी में नमी बनी रहती है.
कृषि मंत्री कंषाना ने बुधवार को एक बयान में कहा कि नरवाई खरपतवारों के अंकुरण और विकास को दबाने में भी मदद करती है. यह मिट्टी को बहने और कटने से बचाती है और धीरे-धीरे विघटित होकर मिट्टी में पोषक तत्वों को वापस लाती है. नरवाई मल्च के रूप में कार्य करती है, जो शून्य जुताई जैसी टिकाऊ कृषि पद्धतियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाती है. ग्रीष्मकालीन मूंग की बोनी में नरवाई प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका है. पिछली फसल की कटाई के बाद नरवाई को खेत में ही छोड़ दें और यदि नरवाई बहुत अधिक है, तो उसे काटकर फैला दें ताकि मूंग की बोनी में आसानी हो. यह विधि मिट्टी की नमी बनाए रखने, खरपतवारों को दबाने और मिट्टी के तापमान को नियंत्रित करने में मदद करती है. शून्य जुताई विधि अपनाने वाले किसानों के लिए यह विधि महत्वपूर्ण है. पिछली फसल की कटाई के बाद खेत की हल्की जुताई करें ताकि नरवाई मिट्टी में मिल जाए. यह नरवाई के विघटन को तेज करता है और मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की मात्रा बढ़ाता है.
मंत्री कंषाना ने कहा कि हालांकि किसानों को यह ध्यान रखना चाहिए कि अधिक जुताई मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है. यदि मेड़ और कुंड विधि से मूंग की बोनी की जा रही हो तो नरवाई को काटकर मेड़ों पर लगाया जा सकता है. यह खरपतवार नियंत्रण और नमी संरक्षण में मदद करेगा. नरवाई को अन्य जैविक कचरे के साथ मिलाकर खाद बनाई जा सकती है. यह खाद मूंग की फसल के लिए एक उत्कृष्ट जैविक उर्वरक के रूप में काम करेगी. यदि पिछली फसल में कोई बीमारी या कीट हों तो नरवाई को खेत में छोड़ने से पहले उसे उपचारित करना चाहिए. हैप्पी सीडर को किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर खरीद सकते हैं. इसकी अनुमानित राशि 2 लाख 60 हजार से 2 लाख 85 हजार रुपये है. इस पर 1 लाख 5 हजार रुपये का अनुदान भी कृषि अभियांत्रिकी विभाग द्वारा दिया जाता है.
तोमर
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