औरैया, 15 अगस्त (Udaipur Kiran) । उत्तर प्रदेश के औरैया जिले का कुदरकोट प्राचीन कुंडिनपुर धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व का धनी स्थल है, लेकिन आज भी पहचान और विकास से कोसों दूर है। मान्यता है कि यही वह स्थान है जहां भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणि का हरण कर द्वारका ले जाकर विवाह किया था। भागवत पुराण के अनुसार पांडु नदी पार कर श्रीकृष्ण ने रुक्मणि को शिशुपाल से विवाह के पूर्व यहां से ले गए थे।
कहा जाता है कि रुक्मणि हरण के बाद गौरी माता मंदिर से देवी गौरी अदृश्य हो गईं और उनकी स्मृति में अलोपा देवी मंदिर की स्थापना हुई। मंदिर के पास द्वापर युगीन शिवलिंग भी है, जिसे राजा भीष्मक ने स्थापित किया था। राजा भीष्मक की पुत्री रुक्मणि और पांच पुत्र थे, जिनमें रुक्मी शिशुपाल का मित्र था और बहन का विवाह उसी से करना चाहता था। रुक्मणि ने कृष्ण को संदेश भेजा और उन्होंने उसे स्वीकार कर लिया।
मुगल शासन के दौरान कुंडिनपुर का नाम बदलकर कुदरकोट कर दिया गया और ऐतिहासिक पहचान मिटाने की कोशिश की गई। यहां राजा भीष्मक के 50 एकड़ में फैले महल के अवशेष आज भी मौजूद हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि जहां अब माध्यमिक विद्यालय है, वहीं कभी रुक्मणि खेला करती थीं।
मंदिर के पुजारी सुभाष चौरसिया ने बताया कि अलोपा देवी मंदिर धरती से 60 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। यहां चैत्र और आषाढ़ नवरात्र में मेले, रामलीला और दशहरा का आयोजन होता है। फाल्गुनी अमावस्या पर चौरासी कोसी परिक्रमा भी होती है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पुरातत्व विभाग की अनदेखी और प्रचार की कमी के कारण कुदरकोट को मथुरा-वृंदावन जैसी पहचान नहीं मिल सकी। पिछले वर्ष खेरे के ऊपर एक मकान में सुरंग मिली थी, जिसका आज तक रहस्य उजागर नहीं हो पाया। श्रद्धालु और इतिहास प्रेमी इस धरोहर को संरक्षित कर इसे विश्व पटल पर पहचान दिलाने की मांग कर रहे हैं।
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(Udaipur Kiran) कुमार
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