अनूपपुर, 20 जुलाई (Udaipur Kiran) । पवित्र नगरी अमरकंटक से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्थित धार्मिक आस्था का केंद्र ज्वालेश्वर धाम का विकास अधर में लटका हुआ है। मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के तमाम श्रद्धालुओं की ज्वालेश्वर धाम पर अटूट आस्था है, जहां स्वयंभू प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। इसी धाम से जोहिला नदी का उद्गम होता है। इसलिए प्राचीन शिव मंदिर का नाम ज्वालेश्वर धाम पड़ा। श्रावण मास और महाशिवरात्रि पर्व के दौरान ज्वालेश्वर धाम में श्रद्धालुओं का तांता लगता है। सामान्य दिनों में भी अमरकंटक पहुंचने वाले अधिकांश श्रद्धालु ज्वालेश्वर शाम में दर्शन करने जरूर पहुंचते हैं। परंतु सीमा विवाद के कारण इस धाम का विकास अटक गया है।
मामला 24 वर्ष पुराना ठंडे बस्ते में
एक नवंबर 2000 को मप्र से अलग होकर छग नया राज्य बना था। दोनों राज्यों की सीमा पर ज्वालेश्वर धाम स्थित है। दोनों ही राज्यों के श्रद्धालुओं को आस्था होने के कारण दोनों राज्य ज्वालेश्वर धाम पर अपना अधिकार जता रहे हैं। यह भी कहा जा रहा है कि ज्वालेश्वर धाम भी उन क्षेत्रों की तरह है जहां दोनों राज्य संयुक्त रूप से विकास संबंधी परियोजना चलाना चाहते हैं। दोनों राज्य अपनी-अपनी सीमा में विकास कार्य कर रहे हैं। परंतु ज्वालेश्वर धाम का विकास नहीं हो पा रहा है। अमरकंटक संत समाज का कहना है कि ज्वालेश्वर धाम के विकास में रोड़ा डालकर श्रद्धालुओं की आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है। देखरेख के अभाव में धार्मिक आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र जीर्ण शीर्ण हालत में पहुंच रहा है।
मूल विवाद मंदिर का
जब तक मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्य एक थे ज्वालेश्वर महादेव मंदिर के अधिपत्य को लेकर कभी कोई भी बात नहीं हुआ। जैसे ही राज्य का विभाजन हुआ मंदिर की प्राचीनता और इसके पौराणिक महत्व के मद्देनजर यहां के संतों ने यह स्थान छत्तीसगढ़ का हिस्सा मनाना शुरू कर दिया। नगर पंचायत अमरकंटक के अनुसार मंदिर और महादेव जी की प्रतिमा अनूपपुर जिले में है। जो बाउंड्री बनी है यह पूरी तरह मध्य प्रदेश के अंतर्गत है। मंदिर के निकट गणेश सरोवर भी अमरकंटक क्षेत्र का हिस्सा है। किंतु यहां के संत तथा पुलिस प्रशासन स्पष्ट रूप से अधिकार क्षेत्र की सीमा का निर्धारण ना होने के कारण अपना अपना दावा इस धार्मिक स्थल के प्रति करते आए हैं।
फेंक दिया गया बोर्ड
नगर पंचायत अमरकंटक द्वारा मंदिर के गेट पर अपना बोर्ड भी लगवाया था लेकिन उसे भी उखाड़ कर फेंक दिया गया और छत्तीसगढ़ शासन का लगा दिया। छग का पेंड्रा गौरेला मरवाही जिला के तवा डबरा ग्राम पंचायत गांव यहां स्थित है। भगवान भोलेनाथ का मंदिर सीमा विवाद को वजह से प्रसिद्धि के अनुरूप एक बड़ा आध्यात्मिक स्थल नहीं बन पा रहा है जबकि यह हिंदू धर्मावलंबियों का एक मुख्य धार्मिक आस्था का स्थल है। विशेष अवसरों पर यहां कोई भव्य आयोजन भी नहीं हो पा रहे हैं। मंदिर ट्रस्ट का गठन भी नहीं हो सका है। श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाया आ रहा चढ़ावा का कोई मूल्यांकन नहीं पा रहा है।
कायाकल्प से वंचित है शिवधाम
नगर पंचायत अमरकंटक द्वारा केवल यहां सड़क का निर्माण किया गया है इसके अलावा यह शिव धाम सीमा विवाद के कारण कायाकल्प से वंचित है। श्रद्धालुओं को यहां दर्शन के अतिरिक्त अन्य कोई सुविधाएं नाहीं मिलती हैं। यह स्थान पूरी तरह से उपेक्षित बना हुआ है। मंदिर में उत्तीसगढ़ क्षेत्र के पुजारी पूजा की पूरी व्यवस्था संभालते हैं। पूर्व में मंदिर के परिसर में अतिक्रमण होने पर नगर पंचायत द्वारा कार्यवाही की गई थी इस तरह की विवादित परिस्थितियां कई बार बनी है। दोनों राज्य के प्रशासन के द्वारा इस सीमा विवाद का पटाक्षेप करने कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है जिससे यह धार्मिक स्थल ना तो श्रद्धालुओं के लिए और ना ही पर्यटन के दृष्टि से बदल पा रहा है।
प्रशासन भी अनभिज्ञ
एसडीएम, पुष्पराजगढ़ सुधाकर सिंह बघेल ने बताया कि पूर्व में यहां का सीमांकन हुआ था। मंदिर का हिस्सा मध्य प्रदेश में आता है। नगर पंचायत के माध्यम से यहां जरूरी कार्य कराए जाते हैं। सीमा विवाद के कारण यहां का संमुचित विकास नहीं हो सका है।
मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर पंचायत अमरकंटक चैन सिंह परस्ते का कहना है कि नगर पंचायत के वार्ड क्रमांक के एक अंतर्गत ज्वालेश्वर मंदिर क्षेत्र आता है। गेट तक सड़क भी नगर पंचायत द्वारा बनवाई गई है। राजस्व भूमि से जुड़ा यह संबंधित सीमा विवाद का मामला है नगर पंचायत द्वारा पूर्व में यहां बाउंड्री का निर्माण कराया हुआ है। आगामी दिनों में यहां नए सिरे से सड़क बनेगी। यहां बोर्ड लगाए गए हैं कितु उसे हटा दिया जाता है। वर्तमान में अभी यहां अन्य कोई विकास से जुड़े कार्य नहीं हुए है।
नवीन तिवारी, एसडीओपी, पुष्पराजगढ़ का कहना है कि सावन माह में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ सहित शिवरात्रि व अन्य अवसर पर अनूपपुर की पुलिस मंदिर में तैनात रहती है। छत्तीसगढ़ की पुलिस के साथ संयुक्त रूप से पुलिस अपना काम करती है ताकि श्रद्धालुओं को कोई समस्या ना आए।
छग के गौरेला पेड्रां मरवाही की एसडीएम रिचा चंद्राकर ने बताया कि जानकारी के अनुसार मंदिर छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र में है। इस संबंध में अधिक जानकारी दस्तावेज देखकर ही दी जा सकेगी।
(Udaipur Kiran) / राजेश शुक्ला
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