रांची, 10 सितंबर (Udaipur Kiran) । विश्व खुदकुशी रोकथाम जागरूकता दिवस पर बुधवार को सिविल सर्जन कार्यालय में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी एनसीडी कोसांग, डॉ सीमा गुप्ता ने की।
इस अवसर पर डॉ गुप्ता ने कहा कि खुदकुशी के प्रमुख कारणों में नशीली दवाओं का दुरुपयोग, ऋणग्रस्तता, बेरोजगारी, पारिवारिक तनाव, बुजुर्गों का अकेलापन और छात्रों में बढ़ती प्रतिस्पर्धा जैसी बातें शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि अकेलापन और नशीली ड्रग्स आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करता है। इसकी चपेट में आने के कारण ही भारत में हर साल एक लाख से अधिक लोग खुदकुशी कर अपनी जान गंवा देते हैं। इनमें एक तिहाई महिलाएं और लगभग एक चौथाई पुरुष शामिल हैं। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने वर्ष 2022 में राष्ट्रीय आत्महत्या रोकथाम रणनीति (एनएमएचपी) शुरू की है, जिसका लक्ष्य 2030 तक आत्महत्या से होने वाली मौतों में 10 प्रतिशत की कमी लाना है।
मौके पर डॉ तवा रिजवी ने मानसिक अवसाद और खुदकुशी के लक्षणों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक उदासी, चिंता, सामाजिक अलगाव, नींद और भूख में बदलाव, कार्यकुशलता में कमी और असामान्य व्यवहार आत्महत्या के खतरे की ओर संकेत करते हैं। ऐसे लक्षणों की समय पर पहचान और इलाज बेहद जरूरी है।
मौके पर खुदकुशी रोकथाम के संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्रभात फेरी निकाली गई। जाे सदर अस्पताल से फिरायालाल चौक तक गई। इसमें स्वास्थ्यकर्मियों ने बैनर और पोस्टर के माध्यम से लोगों को जागरूक किया।
इस अवसर पर डॉ सरिता (फाइनेंशियल एवं लॉजिस्टिक कंसलटेंट), सरोज कुमार, जिला प्रोग्राम असिस्टेंट अभिषेक देव, कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।
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(Udaipur Kiran) / Manoj Kumar
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