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Health Tips : सिर्फ मोटापा नहीं, शरीर के इस हिस्से में बढ़ता फैट महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए है अलार्म

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Health Tips : महिलाओं का शरीर जीवन के हर पड़ाव पर अनेक तरह के बदलावों से गुजरता है — चाहे वो पीरियड्स हों, गर्भधारण या मेनोपॉज़। इन हार्मोनल उतार-चढ़ाव का सीधा असर शरीर की चर्बी के वितरण पर पड़ता है।

अक्सर देखा गया है कि मेनोपॉज़ के दौरान महिलाओं के पेट, जांघों और नितंबों में फैट तेजी से बढ़ने लगता है। इसे सामान्य मोटापा समझकर अनदेखा करना खतरनाक साबित हो सकता है।

हार्मोनल बदलाव से बिगड़ता संतुलन

मेनोपॉज़ के दौरान महिलाएं अपने शरीर के मेटाबॉलिज्म पर नियंत्रण खो देती हैं। मोटापे की जड़ें अक्सर बचपन में ही पड़ जाती हैं।

अगर लड़कियों को शुरू से ही प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक और चिप्स जैसी चीज़ों से दूर रखा जाए, तो आगे चलकर उन्हें पीरियड्स से जुड़ी परेशानियां और वजन बढ़ने की समस्या कम झेलनी पड़ती है।

हार्मोनल असंतुलन के शुरुआती संकेतों में शामिल हैं

  • चेहरे पर बार-बार मुंहासे निकलना
  • पीरियड्स का अनियमित होना
  • अचानक वजन बढ़ना

अगर इन संकेतों पर उसी समय ध्यान दिया जाए, तो आगे के वर्षों में मोटापा और अन्य बीमारियों से बचा जा सकता है।

लिपिडेमा: जब मोटापा नहीं बल्कि बीमारी होती है

भारतीय महिलाओं में इन दिनों लिपिडेमा का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर के निचले हिस्सों — जैसे जांघ, पैर और नितंबों में असमान रूप से वसा जमा हो जाती है।

कई महिलाएं इसे सामान्य मोटापा मान लेती हैं, जबकि यह एक चिकित्सा समस्या होती है।

इसके मुख्य लक्षण हैं 

  • चलने या सीढ़ियां चढ़ने में दर्द या भारीपन महसूस होना
  • डाइट और एक्सरसाइज का असर न दिखना
  • शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से में असंतुलित फैट

डॉक्टरों के मुताबिक, लिपिडेमा आनुवंशिक भी हो सकता है और इसके लक्षण पीरियड्स शुरू होते ही दिखने लगते हैं। गर्भावस्था और मेनोपॉज़ के दौरान यह स्थिति और गंभीर हो जाती है।

अगर आपको संदेह हो कि यह सामान्य मोटापा नहीं है, तो डॉक्टर से तुरंत जांच करवाना जरूरी है।

रसोई के स्पंज में छिपे खतरनाक बैक्टीरिया

महिलाओं की दिनचर्या का बड़ा हिस्सा रसोई से जुड़ा होता है। आधुनिक युग में भले ही रसोई के उपकरणों ने हमारा काम आसान कर दिया हो, लेकिन इनके इस्तेमाल से जुड़े छिपे खतरे भी हैं।

जर्मनी की फर्टवांगेन यूनिवर्सिटी में माइक्रोबायोलॉजिस्ट मार्कस ऐगरट्स ने एक शोध में पाया कि रसोई में बर्तन धोने के लिए इस्तेमाल होने वाले स्पंज में 362 तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं — जो टॉयलेट सीट पर मौजूद बैक्टीरिया जितने खतरनाक हैं।

बैक्टीरिया क्यों पनपते हैं स्पंज में?

स्पंज हमेशा गीले और साबुन के घोल में डूबे रहने के कारण बैक्टीरिया के लिए आदर्श जगह बन जाता है। स्पंज की छोटी-छोटी दरारें उन्हें बढ़ने का पूरा मौका देती हैं।

इन घरेलू उपायों से रहें सुरक्षित

स्पंज को हमेशा सूखा रखें। बर्तन धोने से पहले उसे गर्म पानी में कुछ देर भिगोकर निचोड़ लें।

हफ्ते में एक बार स्पंज को माइक्रोवेव में दो मिनट तक गर्म करें ताकि बैक्टीरिया मर जाएं।

बहुत पुराने या फटे स्पंज का इस्तेमाल न करें। इस्तेमाल के बाद स्पंज को साबुन या पानी में डूबा न छोड़ें।

यदि इन साधारण सावधानियों का पालन किया जाए, तो आप अपनी रसोई और परिवार दोनों को संक्रमण से बचा सकती हैं।

महिलाओं को चाहिए कि वे अपने शरीर के संकेतों को हल्के में न लें

जांघों या निचले हिस्से में जमा वसा हमेशा सामान्य मोटापा नहीं होता — यह किसी गहरे हार्मोनल असंतुलन या लिपिडेमा जैसी बीमारी का संकेत भी हो सकता है। समय रहते डॉक्टर से सलाह लेकर सही निदान और उपचार जरूरी है।

साथ ही, घर की साफ-सफाई के तरीके भी स्वास्थ्य से सीधे जुड़े हैं — इसलिए रसोई में इस्तेमाल होने वाले स्पंज और उपकरणों की स्वच्छता पर ध्यान दें।

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