भारत और एशिया के घरों में चावल सिर्फ भोजन नहीं, बल्कि संस्कृति का हिस्सा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी थाली में परोसा गया यह अनाज अब खतरनाक हो सकता है? हाल ही में हुए एक शोध ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। जलवायु परिवर्तन की वजह से चावल में आर्सेनिक जैसे जहरीले पदार्थ की मात्रा बढ़ रही है, जो कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है। यह खबर न केवल भारत, बल्कि पूरे एशिया के लिए एक गंभीर चेतावनी है, जहां चावल करोड़ों लोगों का मुख्य भोजन है।
शोध ने खोला राज
द लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ जर्नल में प्रकाशित कोलंबिया यूनिवर्सिटी के इस अध्ययन ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि जैसे-जैसे वैश्विक तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा की वृद्धि हो रही है, मिट्टी के रासायनिक गुण बदल रहे हैं। बढ़ता कार्बन डाइऑक्साइड स्तर भी इस समस्या को और गंभीर बना रहा है। नतीजा? चावल के दानों में आर्सेनिक का स्तर खतरनाक रूप से बढ़ रहा है। यह जहरीला पदार्थ न केवल कैंसर, बल्कि हृदय रोग और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
भारत पर सबसे ज्यादा असर
भारत में चावल न सिर्फ भोजन का आधार है, बल्कि यह लाखों किसानों की आजीविका भी है। लेकिन इस शोध ने सवाल उठाया है कि क्या हमारा पसंदीदा अनाज अब सुरक्षित है? विशेषज्ञों का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मिट्टी में मौजूद आर्सेनिक चावल की फसल में तेजी से घुल रहा है। खासकर उन क्षेत्रों में, जहां भूजल में पहले से ही आर्सेनिक की मात्रा ज्यादा है, जैसे पश्चिम बंगाल और बिहार, वहां यह खतरा और भी गंभीर है।
क्या है उपाय?
इस खतरे से निपटने के लिए वैज्ञानिक और नीति निर्माता अब नए रास्ते तलाश रहे हैं। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि चावल की ऐसी किस्में विकसित की जाएं, जो आर्सेनिक को कम अवशोषित करें। साथ ही, किसानों को ऐसी खेती तकनीकों का उपयोग करना चाहिए, जो मिट्टी में जहरीले पदार्थों को कम करें। इसके अलावा, उपभोक्ताओं को सलाह दी जा रही है कि चावल को अच्छी तरह धोकर और ज्यादा पानी में पकाकर आर्सेनिक की मात्रा को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
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