Waqf Amendment Act : हैदराबाद से लोकसभा सांसद और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ एक अनोखा विरोध प्रदर्शन करने की अपील की है। मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने देशवासियों से 30 अप्रैल को रात 9 बजे से सवा 9 बजे तक अपने घरों की लाइटें बंद करने का आग्रह किया।
उनका कहना है कि यह कदम केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को संदेश देगा कि यह कानून संविधान के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह विरोध सरकार का ध्यान खींच पाएगा? और क्या यह कानून वाकई मुस्लिम समुदाय के हितों पर चोट करता है?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम: क्या है विवाद?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। ओवैसी का दावा है कि यह कानून न केवल वक्फ बोर्ड के स्वायत्त कामकाज में हस्तक्षेप करता है, बल्कि यह संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का भी उल्लंघन करता है, जो धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन की गारंटी देते हैं।
उन्होंने कहा, "यह कानून वक्फ संपत्तियों को नियंत्रित करने की कोशिश है, जो मुस्लिम समुदाय के लिए धार्मिक और सामाजिक महत्व रखती हैं।" उनके इस बयान ने कई लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या यह कानून वाकई संविधान की भावना के खिलाफ है?
'वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ' अभियान
20 अप्रैल को हैदराबाद के दारुस्सलाम में अखिल भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की जनसभा में ओवैसी ने इस कानून के खिलाफ लंबी लड़ाई का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि जब तक यह कानून वापस नहीं लिया जाता, विरोध जारी रहेगा। एआईएमपीएलबी ने 'वक्फ बचाओ, संविधान बचाओ' अभियान के तहत कई कार्यक्रमों की योजना बनाई है।
इसमें ब्लैकआउट विरोध, गोलमेज बैठकें, महिलाओं की सभाएं, मानव श्रृंखला, धरना और सार्वजनिक सभाएं शामिल हैं। बोर्ड ने यह भी घोषणा की है कि 1 जून को हैदराबाद में एक बड़ा धरना प्रदर्शन होगा।
ब्लैकआउट विरोध का मकसद
30 अप्रैल को रात 9 से 9:15 बजे तक लाइट बंद करने की अपील को ओवैसी ने एक प्रतीकात्मक कदम बताया। उनका कहना है कि यह विरोध सरकार को यह दिखाएगा कि देश का एक बड़ा वर्ग इस कानून से असहमत है। उन्होंने कहा, "हमारी लड़ाई सिर्फ वक्फ संपत्तियों के लिए नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा के लिए है।" यह पहली बार नहीं है जब ओवैसी ने इस तरह के प्रतीकात्मक विरोध का आह्वान किया हो। लेकिन क्या यह कदम जनता के बीच उत्साह जगा पाएगा? और क्या यह सरकार पर दबाव बनाने में कामयाब होगा?
जनता की प्रतिक्रिया और भविष्य
वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर मुस्लिम समुदाय में बेचैनी साफ देखी जा सकती है। कई लोग इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला मान रहे हैं। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए है। इस बीच, ओवैसी और एआईएमपीएलबी का यह अभियान तेजी पकड़ रहा है। तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में इस विरोध को बड़ा समर्थन मिलने की उम्मीद है।
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